पुलिस ने निकाला आरोपियों का जुलूस, लाइसेंसविहीन बंदूक की जांच जारी; अगली सुनवाई कल
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल मेकाहारा की सुरक्षा में तैनात रहे चार बाउंसरों को पत्रकारों के साथ खुलेआम बदसलूकी कर बंदूक तानने और जान से मारने की धमकी देने के सनसनीखेज मामले में गिरफ्तार कर आरोपियों को आज न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया है. इन आरोपियों में मुख्य आरोपी वसीम अकरम भी शामिल है, जिसने कथित तौर पर पत्रकारों पर बंदूक तानी थी. ये सभी आरोपी प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल मेकाहारा की सुरक्षा में बाउंसर के रूप में तैनात थे. कोर्ट में आज सुनवाई नहीं हो सकी, जिसका कारण एक सीनियर वकील का निधन बताया जा रहा है. अब इन सभी आरोपियों को 6 जून तक न्यायिक हिरासत में रहना होगा. पुलिस ने गिरफ्तार सभी आरोपी बाउंसरों का सोमवार को रायपुर के जयस्तंभ चौक से पूरे शहर में जुलूस निकाला. स्थानीय लोगों ने इसका वीडियो भी बनाया और सोशल मीडिया पर वायरल भी किया. घटना को लेकर पत्रकारों में बड़ा रोष है. घटना के बाद राजधानी के वरिष्ठ पत्रकार भी थाने पहुंचे और विरोध प्रकट किया. प्रदेश में लगातार ऐसी घटनाओं के चलते उनकी मांग है कि सरकार जल्द संज्ञान ले ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृति आगे न हो
क्या था मामला
यह पूरा मामला तब शुरू हुआ जब प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल मेकाहारा में पत्रकारों को चाकूबाजी से पीड़ित वर्ग की रिपोर्टिंग करने से रोका गया. पत्रकार इस घटना के पीड़ित और उनके परिवार से जानकारी लेने के लिए अस्पताल पहुंचे थे. मीडिया रिपोर्ट्स और पत्रकारों के बयानों के अनुसार, अस्पताल की सुरक्षा में तैनात बाउंसरों ने पत्रकारों को कवरेज करने से रोका और उनके साथ बदसलूकी शुरू कर दी. इसी दौरान अस्पताल में बाउंसर सप्लाई करने वाली एजेंसी का संचालक वसीम पिस्तौल लेकर अस्पताल पहुंचा तो विवाद और बढ़ा. वसीम अपने 3 बाउंसर के साथ पत्रकारों को धमकाने लगा . बात यहीं खत्म नहीं हुई आरोपियों ने पत्रकारों को बंदूक दिखाकर जान से मारने की धमकी भी दी, जिससे मौके पर हड़कंप मच गया. पुलिस की मौजूदगी में वसीम ने महिला सुरक्षाकर्मियों को अस्पताल के गेट से बाहर निकालकर पत्रकारों की ओर धकेलना शुरू किया. अस्पताल के गेट पर ही पुलिस ने रिपोर्टरों को रोका. इसके बाद सभी पत्रकार बाउंसर के खिलाफ कार्रवाई की मांग लेकर विरोध प्रदर्शन करने लगे. यह घटना सीधे तौर पर प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला थी, जिसने पूरे पत्रकार समुदाय को एकजुट कर दिया.
पत्रकारों को बैठना पड़ा धरने पर, प्रशासन हरकत में आया
पत्रकारों को मिली जान से मारने की धमकी और बदसलूकी के बाद राजधानी के पत्रकार एकजुट हुए. उन्होंने इस घटना को गंभीरता से लिया और तत्काल पुलिस और जिला प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की. जब उनकी मांग पर तुरंत कार्रवाई नहीं हुई, तो सभी पत्रकार अस्पताल परिसर में ही धरने पर बैठ गए. मौके पर रायपुर के SSP डॉक्टर लाल उम्मेद सिंह भी पहुंचे. पत्रकारों ने कहा कि अंबेडकर अस्पताल के अधीक्षक स्वयं यहां आए और घटना को लेकर कार्रवाई की जानकारी दें. इसके बाद अम्बेडकर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर पहुंचे .उन्होंने दुर्व्यवहार को लेकर माफी मांगी.उन्होंने कहा कि अस्पताल की सुरक्षा में लगी कॉल मी सर्विस के टेंडर को निरस्त करने की अनुशंसा को लेकर सरकार को पत्र लिखेंगे. लगभग 3 – 4 घंटे बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई तो सभी पत्रकारों ने मुख्यमंत्री आवास का घेराव कर दिया. इस प्रदर्शन ने जिला और पुलिस प्रशासन के साथ-साथ राज्य सरकार का भी ध्यान आकर्षित किया. मामले की गंभीरता को समझते हुए, वरिष्ठ अधिकारियों ने हस्तक्षेप किया और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया. धरने में बैठे रायपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर से स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने फोन पर बातचीत की. स्वास्थ्य मंत्री से कार्रवाई का आश्वासन मिलने के बाद देर रात पत्रकारों ने धरना प्रदर्शन को स्थगित किया.